देखए सबसे पहले मे आपका आपके चेनल का शुक्रिया अदा करता हूँ.,हज़रत मोलाना सय्यद कारी मोहम्मद उस्मान साहब रहo. के इन्तेक़ाल से बड़ा दुख और सदमा पहुंचा और जेसा के मशहूर है के आलिम की मौत आलम की मौत होती है हज़रत इसके हक़ीकी मिस्दाक़ थे इनके इन्तेक़ाल से उम्मते मुस्लिमा और मुल्क को ना कबीले तलाफी नुकसान हुआ है जिसकी भरपाई ना मुमकिन तो नहीं लेकिन मुश्किल ज़रूर है हज़रत मुस्लिम और ग़ैर मुस्लिमों के दरमियान इतेहद और इतेफाक पर ज़ोर देते थे और बिला इम्तियाज़ मज़हबो मिल्लत हर एक की खिदमत करते थे मे उम्मते मुस्लिमा से और ख़ास तौर से उनके लवाहीक़ीन से ताज़यते मसनूना पेश करता हूँ के अल्लाह तआला उनकी मग़फिरत करे जन्नतउल फिरदौस मे आला मकाम अता फरमाएं और उनके लवाहीक़ीन को सबरे जमील अता फरमाएं
(मुफ्ती मोहम्मद मासूम कासमी) खादिम जामिया अरबिया मदरसा तुल मोमिनीन मंगलौर( ज़िला हरिद्वार उत्तराखंड)

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