आनन्द स्वरूप आर्य सरस्वती विद्या मन्दिर में भारतीय शिक्षा समिति उत्तराखण्ड द्वारा आयोजित नवीन आचार्य अभ्यास वर्ग का पाॅचवे दिन का शुभारम्भ श्री चिरंजीव (विभाग प्रचारक हरद्विार विभाग) श्री नत्थीलाल बंगवाल (सम्भाग निरीक्षक गढ़वाल) श्री मनोज रयाल एवं श्री चन्दन नकोटी, श्री रविन्द्र नेगी, एवं श्री शिशुपाल रावत (प्रशिक्षण टोली सदस्य) के द्वारा माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित एवं पुष्पार्चन कर किया गया।
श्रीमान चिरंजीव जी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक का परिचय देते हुए कहा कि विद्या भारती का वैचारिक अधिष्ठान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ है। किसी भी संगठन को आगे बढ़ना है तो उसका विचार अपने कार्य का आधार होता है यह भाव लेकर विद्या भारती का जो वैशिष्ट्य है उसे संघ द्वारा की प्राप्त किया जा सकता है। राष्ट्रभक्ति की भावना को पुष्ट करने वाले हमारे सामाजिक जीवन में अनेक उदाहरण है, उसमें पन्नाधाय, रानी लक्ष्मीबाई, भामाशाह, शिवाजी सहित अनेक महापुरुषों के उदाहरण समाज में मिलते है। इनका त्याग, समर्पण और बलिदान आज भी हमें प्रेरणा प्रदान करता है। उन्होने बताया कि डाॅ0 केशवराव बलिराम हेेडगेवार जी जन्मजात राष्ट्रभक्त थे, 1922 में डठठै की शिक्षा पूर्ण करने के बाद अपने जीवन यापन के लिए चिकित्सक नही बने, बल्कि समाज के लिए कार्य करना सुनिश्चित किया। 1925 से 1940 तक डाॅ0 हेडगेवार जी के नेतृत्व में संगठन ने व्यक्ति निर्माण का कार्य किया, और 1936 में राष्ट्रीय सेविका समिति का गठन किया गया। 1948 में महात्मा गाँधी की हत्या के पश्चात तत्कालीन सरकार ने संघ पर प्रतिबन्ध लगा दिये, बाद में 1949 में गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल जी ने कहा कि संघ अपनी जगह कही गलत नही है और राष्ट्रीय विचार धारा से ओत-प्रोत है और 1949 को संघ से प्रतिबन्ध हटा लिया गया। 1952 में श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ का निर्माण किया।
श्री अमरदीप सिंह
प्रधानाचार्य
Ishwar Chand reporter Sahara tv

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