गंगा तल में दिखीं ब्रिटिश कालीन रेल पटरी
हरिद्वार, 6 अक्तूबर। हरकी पैड़ी पर इन दिनों गंगा का दृश्य पूरी तरह बदल गया है। उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग द्वारा गंगनहर की वार्षिक सफाई और मरम्मत के लिए जल प्रवाह रोके जाने के बाद गंगा का तल बिलकुल साफ नजर आ रहा है। इस दौरान गंगा की तलहटी में ब्रिटिश कालीन रेल की पटरियां दिखाई दीं, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण और हैरत का विषय बन गई हैं।
ब्रिटिश काल की ऐतिहासिक धरोहर
इतिहासकारों के अनुसार
ये रेल पटरियां 19वीं सदी के मध्य में गंगनहर के निर्माण के दौरान बिछाई गई थीं। उस समय इन्हें निर्माण सामग्री ढोने और ब्रिटिश इंजीनियरों के निरीक्षण के लिए उपयोग किया गया था। यह नैरो गेज रेलवे लाइन थी। जिस पर हाथगाड़ी चलाई जाती थी। गंगनहर, जिसे लॉर्ड डलहौजी के कार्यकाल में इंजीनियर करनल कोटले की देखरेख में बनाया गया था। ब्रिटिश इंजीनियरिंग का एक बेहतरीन उदाहरण है। गंगा के तल पटरियामें दिपटरियांख रही ये पटरियां उस दौर की तकनीकी दक्षता का प्रतीक हैं।
श्रद्धालुओं और पर्यटकों में उत्सुकता
गंगा की तलहटी में उभरी इन पटरियों को देखकर श्रद्धालु और पर्यटक हैरान हैं। कुछ लोग इसे इतिहास का जीवंत नमूना मानते हुए तस्वीरें और वीडियो बना रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी इन पटरियों की खूब चर्चा हो रही है।
विशेषज्ञों की राय
यूपी सिंचाई विभाग के इंजीनियर विकास त्यागी ने बताया कि गंगा के जल प्रवाह को हर साल कुछ समय के लिए रोका जाता है, ताकि गंगनहर की सफाई और मरम्मत की जा सके। इस दौरान गंगा की तलहटी में ये ब्रिटिश कालीन धरोहर नजर आती है, जो उस समय की इंजीनियरिंग और निर्माण कार्यों की कहानी बयां करती है।
इतिहास के पन्नों से
इतिहासकारों का कहना है कि गंगनहर का निर्माण 1850 के आसपास शुरू हुआ था। यह परियोजना ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में सिंचाई और परिवहन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। हरिद्वार से लेकर रुड़की तक इस नहर के निर्माण में इन पटरियों का उपयोग किया गया।
एक अद्वितीय अनुभव
हर साल गंगा बंदी के दौरान इस तरह के नजारे सामने आते हैं, जो न केवल गंगा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को उजागर करते हैं, बल्कि पर्यटकों के लिए एक नया अनुभव भी लेकर आते हैं।
ईश्वर चंद संवाददाता सहारा टीवी