नई दिल्ली । कोविड-19 महामारी के बीच, 23.97 लोगों ने कहा कि लॉकडाउन लागू होने के बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। आईएएनएस-सीवोटर द्वारा 1,723 लोगों पर किए गए सर्वे से यह जानकारी मिली। कुल 8.15 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि लॉकडाउन शुरू होने के बाद वे पहले की सैलेरी या आय पर काम कर रहे हैं। वहीं 8.28 प्रतिशत लोगों ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने वेतन में कटौती का सामना किया। सर्वे में शामिल 1,723 लोगों में 3.23 प्रतिशत ने कहा कि वे लॉकडाउन से पहले फुल-टाइम जॉब करते थे और अब पार्ट टाइम जॉब करते हैं। वहीं कम-से-कम 7.59 प्रतिशत लोगों ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान वे वेतन बिना अवकाश का सामना कर रहे थे या फिर उनका काम रुक गया था और तब उनकी आमदनी शून्यहो गई। इस बीच, 27.72 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे इस दौरान सरकार और उसके नियोक्ता के नियम के अंदर काम कर रहे थे। केवल 2.66 प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया कि वे घर से काम नहीं कर रहे थे लेकिन लॉकडाउन के दौरान पूरी सैलरी ले रहे थे। हालांकि 2.32 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे घर से काम नहीं कर रहे थे और उन्हें कम सैलरी मिल रही थे।
पीएम मोदी पर 77 फीसदी से ज्यादा लोगों को भरोसा
इसी सर्वे में 77.3 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि नरेंद्र मोदी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार इस संकट को अच्छी तरह से संभाल रही है जबकि 19.1 प्रतिशत लोगों ने इससे असहमति जताई। वहीं, 91.44 देशवासियों ने कहा कि उनके परिवार या आसपास का कोई भी कोरोना से संक्रमित नहीं है। सर्वे के मुताबिक, लगभग केवल 6.8 फीसदी लोगों का सामना ही कोविड के मामलों से हुआ है यानी सिर्फ इतने प्रतिशत लोग ही अपने परिवार या अपने आसपास के किसी को महामारी से संक्रमित होते देखा है।

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