सीएसआईआर-सीबीआरआई, रुड़की में डीजी, सीएसआईआर और सचिव, डीएसआईआर, भारत सरकार एवं सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार का आगमन
रुड़की, 28/06/2025:

सीएसआईआर – सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई), रुड़की में आज सीएसआईआर की महानिदेशक एवं डीएसआईआर, भारत सरकार की सचिव डॉ. (श्रीमती) एन. कलाईसेवी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन संस्थान के दौरे पर पहुंचे।

इस अवसर पर सीबीआरआई निदेशक प्रो. आर. प्रदीप कुमार के साथ वरिष्ठ वैज्ञानिक एस. के. नेगी, डॉ. अजय चौरसिया, डॉ. डी. पी. कनुगो, डॉ. पी. सी. थपलियाल, एस. के. सिंह, डॉ. चंदन स्वरूप मीणा, आशीष पिप्पल, डॉ. हेमलता, डॉ. हीना गुप्ता, ashwathi और डॉ. लीना चौरेशिया उपस्थित रहे। आगंतुक विशिष्ट अतिथियों ने संस्थान की अत्याधुनिक अनुसंधान प्रयोगशालाओं और सुविधाओं का भ्रमण किया, जिनमें विरासत दीर्घा (Virasat Dirgha), राष्ट्रीय भूकंप अभियंत्रण परीक्षण सुविधा (NEETF), डेब्रिस फ्लो सुविधा, लिक्विफेक्शन प्रयोगशाला, 3डी प्रिंटिंग लैब, अग्नि अभियंत्रण परीक्षण सुविधा एवं ऑयल वेल फायर मिटिगेशन सुविधा प्रमुख रहीं।

भ्रमण के पश्चात आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत निदेशक प्रो. आर. प्रदीप कुमार के स्वागत भाषण से हुई, जिसमें उन्होंने संस्थान की उपलब्धियों और विकास यात्रा को साझा करते हुए प्रेरक नारा प्रस्तुत किया: “हर घर में CBRI, हर दिल में CSIR”।

डॉ. कलाईसेवी ने अपने संबोधन में सीबीआरआई की तकनीकी क्षमताओं, सामूहिक कार्यसंस्कृति और नवाचारों की सराहना करते हुए विशेष रूप से जलवायु-प्रतिकारक भवनों, 12000 फीट की ऊँचाई or uske uppar उपयोग योग्य solar water heater सौर तापीय प्रणाली, अग्नि सुरक्षा अभियांत्रिकी, 3डी प्रिंटिंग तकनीक, और HARI Project के अंतर्गत लेह-लद्दाख जैसे उच्च हिमालयी क्षेत्रों के लिए विकसित आवासीय समाधानों की सराहना की। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों का उद्देश्य होना चाहिए: “To touch the untouched, to reach the unreached”।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन ने संस्थान के ऊर्जा-सम्पन्न और नवाचार केंद्रित वातावरण की सराहना करते हुए कहा कि सीबीआरआई भारत@2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भागीदार बन सकता है। उन्होंने Polar Mission Centers, Coastal Marine Spatial Planning, और आपदा-रोधी भवन डिज़ाइन परियोजनाओं में सीबीआरआई की भूमिका को रेखांकित किया और संस्थान द्वारा विकसित तकनीकों को देश-विदेश में प्रचारित करने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि उनका लाभ सुदूरवर्ती और आपदा-प्रभावित क्षेत्रों तक पहुँच सके।

कार्यक्रम का समापन संस्थान निदेशक द्वारा अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट करने और प्रो. एस. के. सिंह द्वारा प्रस्तुत धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

Ishwar chand reporter sahara tv

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